Friday, September 25, 2009

ये मांग कितनी प्रासंगिक?

इन दिनों लगातार सुर्खियों में देश के सर्वोपरि तकनीकी शिक्षण संस्थान आई. आई. टी. के अध्यापकों की सरकार से वेतनमान व अन्य भत्ते बढ़ाने की मांग है. एक बार तो अपनी आखों पर विश्वास नहीं हुआ कि ये समाचार सत्य है! भारत के सर्वोत्तम तकनीकी संस्थान होने का गौरव आई. आई. टी. को प्राप्त है. यही वो संस्थान है जो हर भावी इंजिनियर का सपना है. यहाँ के शिक्षण विभाग का व्यवहार पूरे देश के अध्यापकों के लिए उदाहरण है और आज इसी संस्थान के अध्यापकों को वेतन और सम्मान के लिए हड़ताल पर जाते देख मन में एक अजीब सी अनुभूति होती है. शिक्षा का व्यवसायीकरण हुआ है इसमें कोई दो-राय नहीं. परन्तु ऐसे व्यवहार की आशा क्या वाकई इन वरिष्ठतम अध्यापकों से की जा सकती है? निश्चित रूप से नहीं. एक और दलील यहाँ दी जा सकती है, कि इस घटना का दूसरा पक्ष भी देखा जाना चाहिए. अपने अधिकारों के लिए लड़ना कोई गलत बात नहीं फिर क्यों न लड़ने वाले देश के गौरव हों! आई. आई. टी. रूढकी की पूर्व शोध छात्रा रह कर ये मैंने महसूस किया है कि अध्यापकों को मिलने वाली सुविधाएँ यदि बहुत नहीं तो कम भी नहीं हैं. रही बात सम्मान की तो ये न तो वेतन का मोहताज है और न ही लड़ने से प्राप्त किया जा सकता है. विरोध के कई तरीके हो सकते हैं, किन्तु इस गौरवशाली संस्थान के अध्यापकों का भूख हड़ताल पर जाकर अधिकार प्राप्त करना कितना प्रासंगिक है ये निश्चित रूप से विचारयोग्य है. केंद्र को चाहिए कि आई. आई. टी. प्रशासन से शांतिपूर्वक बात करे. हमारे मूर्धन्य अध्यापकों के कुछ सुझाव निश्चय ही तकनीकी शिक्षा में सुधार करने योग्य हैं. आशा है कि जल्द ही इस विषय में कुछ शांतिपूर्ण पहल होगी. हर क्षेत्र में विकास का स्वप्न जो तरुण भारत खुले नेत्रों से देख रहा है वो इस देश के अध्यापकों के त्याग के बिना पूर्ण होना असंभव है.

इस देश में फिर से अर्जुन पैदा हों इसके लिए द्रोणाचार्य जैसे गुरु होना अवश्याम्भी है......

स्वर्णिमा "अग्नि"

2 comments:

  1. Couldnt agree more with your concluding remarks... Just as dronacharya was unreasonable in his demands for having produced exceptional talent like ekalavya, are the professors of IIT asking for too much guru dakshina from the country's youth?
    Time will tell...
    For the time being though I wish this issue had never reached public domain for us to opine.

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  2. Probably I gave a wrong example... sorry for that.. Actually I didn't link them that way. Like Dronacharya was the best as teacher and eklavya was best as student ever, just portrayed them in a positive manner. There were certain circumstances which made Dronacharya being notorious (asking for the right thumb of Eklavya). By the way I am replacing Eklavya by "Arjun' here. Hope now it goes well with theme.

    looking forward for more comments from you in future. your advise is precious for a beginner like me. Thank you :)

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