Tuesday, April 14, 2015

एक बकवादी की कलम से


चलो आज कुछ लिखें क्योंकि आज यूँ ही मन मे लिखने की इच्छा है और विचारों को बाँध पाना मुश्किल है, क्योंकि यदि विचारो को सही दिशा ना मिले तो मस्तिष्क के भटकने का ख़तरा बहुत रहता है और क्योंकि ये संसार है ही ऐसा जहाँ भटकने लायक इतना कुछ है. क्योंकि फिर ये सब इतना सुनेगा कौन, किसके पास समय है, क्योंकि लोग बड़ी जल्दी बुद्धिमानी और मूर्खता के पैमाने तय कर लेते हैं. क्योंकि ज़रूरत से ज़्यादा सोचने और बोलने वालो को अक्सर बकवादी और बेवकूफ़ समझा जाता है. क्योंकि शायद लोगों के पास इतना सब गृहन करने की शक्ति ही नहीं जितना कुछ बकवादी और बेवकूफ़ लोगों का दिमाग़ सोच पाता है. क्योंकि ऐसे भाग्यशाली लोग अक्सर या तो गुरु बन जाते हैं या प्रसिद्ध मसखरे और जो ये नहीं बनते वो विवेकहीन की श्रेणी मे आते हैं. क्योंकि वैसे आज ये भी बताना ज़रूरी है ऐसे लोग अक्सर आम जनता की कुंठाएँ दूर करते या संघर्षरत परेशान लोगों को ढाँढस बाँधते पाए जाते हैं पर फिर क्योंकि इंसान की फ़ितरत ही इतनी अजीब होती है क़ि ज़िंदगी ज़रा सा मुस्कुराइ नहीं की संघर्ष और उसके साथी सब बड़े छोटे नज़र आते हैं. क्योंकि फिर ठीक भी है बीमारी ठीक होने के बाद दवा पल्लू से तो बाँध नहीं ली जाती, क्योंकि दवा को कड़वा बताना खुद की हौंसलाअफज़ाई होती है. क्योंकि आज की ये बकवास बहुतों को कड़वी लगेगी, क्योंकि बात कड़वी लगने के लिए ही कही गई है. क्योंकि ऐसी बातें बुद्धिमान तो करते नहीं और मूर्खों की सबसे बड़ी विशेषता यही होती है की वो मन में कुछ रखते नहीं. क्योंकि बकवादी कई बार मूर्ख हो या ना हो, मूर्ख होने का नाटक ज़रूर करता है, क्योंकि छद्म बुद्धिमानो को मन ही मन मुस्कुराते देखना भी एक तरह का सुख है. चलिए फिर मिलेंगे एक नई बकवास के साथ. क्योंकि इस बकवादी के बारे मे आप जो चाहें धारणा बना सकते हैं ये बुरा नहीं मानेगी.. स्वर्णिमा "अग्नि"

1 comment:

  1. Ati sunder....... bakwadi
    Aarambh se lekar bakwadi tak bahut badiya
    Likhte rahiye. Vastav me vicharon ko vyakta karne ka isse achchhq madhyam aur koi nhi.
    Keep it up
    bahut bahut sadhuvaad

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